रहीमदास जी के दोहे
रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय
हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।।
अर्थ—
रहीमदास जी कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।